“Vote नहीं तो Party भी नहीं!” गायब पार्टियों को तमिलनाडु EC का अल्टीमेटम

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग पूरी तरह से सतर्क हो गया है। जहां एक ओर DMK और AIADMK जैसे प्रमुख दल अपना चुनाव प्रचार ज़ोर-शोर से शुरू कर चुके हैं, वहीं दूसरी ओर 6 वर्षों से चुनाव न लड़ने वाली 6 पार्टियों को नोटिस भेजा गया है।

किन पार्टियों पर गिरी गाज?

चेन्नई में पंजीकृत इन 6 दलों को चुनाव आयोग की ओर से व्यक्तिगत रूप से पेश होकर यह बताने का आदेश दिया गया है कि उनका पंजीकरण रद्द क्यों न किया जाए:

  1. गोकुला पीपुल्स पार्टी

  2. इंडियन लवर्स पार्टी

  3. भारतीय जन शिक्षा विकास निगम

  4. पीपुल्स नेशनल पार्टी

  5. ह्यूमैनिटी पीपल्स पार्टी

  6. पेरुंथलैवर मक्कल काची

ये पार्टियाँ 2019 से अब तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ीं

क्या कहता है कानून?

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 के अंतर्गत पंजीकृत पार्टियों को कई फायदे मिलते हैं:

  • आयकर छूट (Section 13G, Income Tax Act)

  • मान्यता प्राप्त चुनाव चिन्ह

  • स्टार प्रचारकों की नियुक्ति का अधिकार

  • चुनाव चिन्हों में प्राथमिकता

लेकिन यदि कोई पार्टी लगातार 6 वर्षों तक चुनाव में हिस्सा नहीं लेती, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

26 अगस्त को पेशी का आदेश

तमिलनाडु के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को जांच और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। सभी 6 दलों को 26.08.2025 को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया है। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो इनका पंजीकरण खत्म किया जा सकता है।

क्यों ज़रूरी है ये सफाई अभियान?

तमिलनाडु में दर्जनों ऐसी पार्टियाँ हैं जो कभी सिर्फ कागज़ों पर मौजूद रहती हैं, लेकिन आयकर छूट जैसे फायदे उठाती हैं। इससे ना केवल राजनीतिक पारदर्शिता पर असर पड़ता है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गंभीरता भी कमजोर होती है।

अब सिर्फ नाम काफी नहीं

चुनाव आयोग का ये कदम दिखाता है कि “सिर्फ पार्टी का नाम रख लेने से आप पार्टी नहीं बनते।” लोकतंत्र में सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है। 2026 चुनावों से पहले यह एक क्लीनअप ड्राइव है जो सियासी पटल को साफ-सुथरा करने की दिशा में अहम कदम हो सकता है।

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